भगवान शिव आदि हे , अनंत हे , निर्गुण और निराकार हे. वो स्वयंभू हे इसीलिए उन्हें कालोपरी भी कहते हे. वैसे तो भगवान शिव वैरागी रूप में भी जाने जाते हे जिसका मतलब हे की वो सांसारिक बंधन से मुकत हे. लेकिन शिव और शक्ति दोनों एक ही पराशक्ति के रूप होने के कारण दोनों अलग नहीं किन्तु एक ही रूप में पूजे जाते हे जिसका प्रमाण उनका अर्धनारीश्वर रूप हे. इसी कारण भगवान शिव ने माता आदिशक्ति (माता पारवती) से विवाह कर संसार के उधार का कार्य किया हे. जो ये प्रमाण हे की भगवान शिव ने वैराग्य भाव से सांसारिक कर्तव्यों का निर्वाह किया हे.
भगवान शिव का परिवार संसार में उत्कृष्ट परिवार का उदहारण प्रस्तुतु करता हे. भगवान शिव के पत्नी माता पारवती हे जो संसार में पुरुष और प्रकृति के संतुलन को परिभाषित करते हे , उनके जयेष्ठ पुत्र का नाम हे कार्तिकेय जो संसार में आशूरी शक्तियों का विनाश कर धर्म की पुनः स्थापना करते हे जो दक्षिण में मुरुगन के नाम से भी जाने जाते हे. उनके दूसरे पुत्र का नाम हे गणेश। जो एकदंताय, गजानन, विघ्नहर्ता जैसे कई नामो से जाने जाते हे. जिन्हे संसार में शुभता का प्रतिक माना जाता हे. हिन्दू संस्कृति के अनुसार कोई भी शुभकार्य आरंभ करने से पूर्व भगवान श्री गणेश की आराधना अनिवार्य हे जिससे उस कार्य में कोई भी विघ्न न आये. भगवान शिव की एक पुत्रीभी थी जिनके बारे में बहुत काम लोगो को ज्ञात होगा। उनका नाम अशोक सुंदरी था जिनका विवाह राजा नहुष से संपन हुआ था. भगवान शिव के परिवार में उनके वाहन नंदी का भी महत्व हे जो धर्म रूप भी मने जाते हे और माता पारवती एवं भगवान शिव के प्रिय भी हे. भगवान शिव का परिवार ही हे जहा स्वयं शिव से लेकर उनके वाहन नंदी तक सब पूजे जाते हे.